Friday, April 18, 2014



हिंदुस्तान का हीरो, जिसने गिड़गिड़ाने पर मजबूर कर दिया था पाकिस्तान को

हिंदुस्तान का हीरो, जिसने गिड़गिड़ाने पर मजबूर कर दिया था पाकिस्तान को

सूरत। आज का दिन भारत और भारतीय सेना के इतिहास में बेहद खास है। क्योंकि आज ही के दिन यानी की 3 अप्रैल 1914 को महान योद्धा सैम मानेकशा का जन्म हुआ था। मूल गुजरात के सैम मानेकशा ने ही सन् 1971 में पाकिस्तान को धूल चटाकर बांग्लादेश को आजाद मुल्क बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।


सन् 1971 के युद्ध में जनरल मानेकशा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी से वादा किया था कि वे एक हफ्ते के अंदर ही  पूर्वी पाकिस्तान को नेस्तनाबूद कर देंगे। 3 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान ने भारत पर हमला बोल दिया, लेकिन मानेकशा की बहादुरी के सामने पाक सेना टिक नहीं सकी।
सिर्फ 13 दिन चले इस युद्ध में एक बार फिर पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी और 16 दिसंबर को बांग्लादेश को पाक से आजाद करा दिया गया। इतना ही नहीे, इस जंग में 91000 पाक युद्धबंदी कैद कर भारत भी लाए गए थे। लेकिन पाक सरकार के निवेदन पर सभी युद्धबंदी रिहा कर दिए गए थे। युद्ध के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, जनरल मानेकशा से बहुत खुश हुईं और उन्हें फील्ड मार्शल बना दिया था।


उम्र 34 साल, बिना अनुभव दुनिया के सबसे अमीर लोगों से पाया निवेश


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हैंपटन क्रीक कंपनी के सीईओ और 34 वर्षीय आंत्रप्रेन्योर जोश टैट्रिक ने ऐसे क्षेत्र में सफलता हासिल की है, जिसका उन्हें कोई अनुभव नहीं था। अंडों के लिए प्लांट बेस्ड विकल्प बनाने के लिए इस अनुभवहीन व्यक्ति को दुनिया के कुछ सबसे अमीर लोगों ने फंडिंग की है। माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स के साथ इस सूची में एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति ली का और याहू के संस्थापक जैरी येंग का नाम भी जुड़ गया है।
सब सहारा अफ्रीकी क्षेत्रों में यूएन के लिए काम करने वाले जोश को इस क्षेत्र का जरा भी अनुभव नहीं था। यूएन की नौकरी से ऊब चुके जोश को अंडे के विकल्प वाले मेयो और कूकी बनाने का विचार दोस्त से चर्चा के दौरान आया। उस पल के बाद ही उन्होंने इस विषय पर अध्ययन शुरू कर दिया था। मगर इन निवेशकों को प्रभावित करना आसान नहीं था। वे रोज कई शेफ से मिलते। घंटों बातें करते। उन्होंने अपने कंसेप्ट के लिए प्रूफ बनवाए। कई बायोकेमिस्ट हायर किए। फूड वैज्ञानिकों की मदद ली। एक साल में यह जान पाया कि कैसे मेयो और कूकी बगैर अंडों के भी बनाई जा सकती है। इस मेहनत की बदौलत ही वे दुनिया के कुछ सबसे अमीर लोगों को प्रभावित कर पाए। इस तरह फूड साइंस के क्षेत्र में अनुभवहीन जोश को अपनी कंपनी के लिए 30 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिल गई है।