Saturday, September 6, 2014

आपका टीडीएस कटता है तो ये 5 बातें जानना आपके लिए है जरूरी

आपका टीडीएस कटता है तो ये 5 बातें जानना आपके लिए है जरूरी

 स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) वह निश्चित प्रतिशत होता है, जो सैलरी, कमीशन, रेंट, इंट्रेस्ट, प्राइज मनी या डिविडेंड जैसी विभिन्न प्रकार की अदायगी पर काटा जाता है। टीडीएस के विवरण फॉर्म 26एएस में अपडेट होते हैं। टैक्सेशन के विशेषज्ञ और प्रशांत मित्तल एंड एसोसिएट्स के प्रोपराइटर प्रशांत मित्तल की तरफ से टीडीएस की कुछ अहम खासियतें मनीभास्कर को बताई गई हैं, जो इस प्रकार हैं-

1- लागू होती हैं अलग-अलग दरें

अलग-अलग तरह की आमदनी के लिए अलग-अलग टीडीएस दरें लागू की जाती हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिला ब्याज 10 हजार रुपए से अधिक है, तो उस पर 10 फीसदी की दर से टीडीएस काटा जाता है। लेकिन अगर आपने किसी क्रॉसवर्ड पजल या कार्ड गेम या लॉटरी आदि में इनाम जीता है तो उस पर 30 फीसदी की दर से टीडीएस काटा जाता है।
आपका टीडीएस कटता है तो ये 5 बातें जानना आपके लिए है जरूरी

2- टीडीएस न काटने का अनुरोध

कुछ स्थितियों में टीडीएस न काटने का अनुरोध किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, डिविडेंड, ब्याज और म्यूचुअल फंड से होने वाली आमदनी को फॉर्म 15जी और 15एच में केवल सेल्फ डिक्लेयर कर ऐसा किया जा सकता है, यदि उस व्यक्ति की इन मदों से आमदनी टैक्स लगाने के लिए जरूरी राशि से अधिक न हो।

3- यदि टीडीएस न कटे तो

कई बार टीडीएस नहीं कटता, लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं है कि आपको टैक्स अदा करने की जरूरत नहीं है। टीडीएस न कटने के बावजूद आपको टैक्स अदा करना होता है, अगर आप उस दायरे में आते हैं।
आपका टीडीएस कटता है तो ये 5 बातें जानना आपके लिए है जरूरी

4- अगर अधिक टीडीएस कट गया तो

कई बार ऐसा भी होता है कि कोई व्यक्ति इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आता, लेकिन उसके फिक्स्ड डिपॉजिट पर टीडीएस कट  गया हो। ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर टैक्स रिफंड की मांग कर सकता है। 

5- टीडीएस कटने का मतलब देनदारी से मुक्ति नहीं होता

यह जानना जरूरी है कि अगर आपका टीडीएस कट गया है, तो भी आप पर टैक्स लाइबिलिटी बाकी रह सकती है। आम धारणा यह है कि यदि टीडीएस कट गया है तो आपको उसके ऊपर अदायगी करने की जरूरत नहीं है।

आपका टीडीएस कटता है तो ये 5 बातें जानना आपके लिए है जरूरी
(सभी राशि रुपए में)

उदाहरण से समझिए

इसे समझने के लिए चार लोगों का उदाहरण लेते हैं- जय, विरल, रिया और प्रियांश- इन सभी की उम्र 60 सालों से कम है। इन सभी ने फिक्स्ड डिपॉजिट किया है और ब्याज आय के तौर पर 25 हजार रुपए प्राप्त किया है। अगर किसी ने फॉर्म एच नहीं भरा, तो ऐसे में एफडी से मिली ब्याज आय पर बैंक 10 फीसदी की दर से टीडीएस काटता है, अगर यह राशि 10,000 रुपए से अधिक है।

आप देख सकते हैं कि जय, विरल, रिया और प्रियांश अलग-अलग टैक्स स्लैब में आते हैं, ऐसे में एफडी से मिली ब्याज आय पर उनकी टैक्स लाइबिलिटी अलग-अलग है। चूंकि बैंक ने 10 फीसदी की दर से टीडीएस काटा है, ऐसे में रिया और प्रियांश को अभी और टैक्स अदा करना होगा। दूसरी ओर जय ने अधिक टैक्स दे दिया है। उसे इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर टैक्स रिफंड क्लेम करना होगा।



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